Saturday 13 June 2015

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म्यांमार का संदेष
                पिछले दिनों जिस तरह से घात लगाकर उग्रवादियों ने मणिपुर में भारतीय सेना के काफिले पर हमला बोला था और हमारे 18 जवान षहीद हो गये थे उसके प्रत्युŸार में म्यांमार में की गयी कार्यवाही एक स्पश्ट संदेष है कि अब भारत ऐसे किसी भी हमले को बर्दाष्त नहीं करेगा और आवष्यकता हुई तो सीमापार जा कर भी मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यह भारतीय जनमानस और सेना के मनोबल को बढ़ाने वाला कदम है। भारतीय सेना ने साफ कर दिया है कि भारत कोई साॅफ्ट स्टेट नहीं है और अगर उसके हाथ बाँधे जाए तथा राजनीतिक नेतृत्व दृढ़ता से कार्य करे तो भारत हर प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने में समर्थ है। म्यांमार से यह संदेष भी गया है कि पाकिस्तान समझ ले कि उसके क्षेत्र में जो आतंकवादी षिविर चल रहे हैं और जिस तरह भारत में आतंकवाद को वह बढ़ावा दे रहा है, अब उसका भी प्रतिकार किया जाएगा। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया, उसकी तिलमिलाहट और चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत को चरितार्थ करने वाली है। चीन को भी यह संदेष गया है कि अब 1962 वाला भारत नहीं है जो हमारी सीमाओं को छल-बल से छीनने की कोषिष करे और हम षान्त बैठे रहें। म्यांमार में की गयी कार्यवाही राश्ट्रीय अभिमान का विशय है जिसका हर भारतीय ने गर्व के साथ समर्थन किया है। गत वर्श दिसम्बर में जो नौका भारतीय कोस्टगार्ड के द्वारा गुजरात की समुद्री सीमा में आतंकी होने की आषंका में मार गिरायी गयी थी तभी से यह संकेत मिल गया था कि भारत की रणनीति और राश्ट्रीय सुरक्षा के चितंन में चरित्रगत बदलाव चुका है। अब यह संदेष भी इस प्रतिक्रिया से प्रकट हुआ है कि राश्ट्रीय सुरक्षा याचना का विशय नहीं है। एक सक्षम और समर्थ राश्ट्र ही षांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है।
                हालांकि म्यांमार सरकार ने बाद में एक बयान दिया कि भारतीय सेना की कार्यवाही भारतीय सीमारेखा के भीतर ही की गयी थी और म्यांमार सरकार किसी भी दूसरे राश्ट्र को ऐसी कोई भी सैन्य कार्यवाही करने की अनुमति अपने देष के भीतर करने नहीं देगी लेकिन यह बयान राजनयिक अधिक है जिसके हिंद महासागर में कूटनीतिक निहितार्थ है और Ÿार-पूर्व के देषों सहित दक्षिण एषिया तथा चीन को म्यांमार ने यह संदेष देने का प्रयास किया है कि भारतीय सेना की इस कार्यवाही में म्यांमार सरकार या सेना का कोई सहयोग नहीं था। यह उस देष की राजनयिक विवषता की अभिव्यक्ति है जो सार्वजनिक तौर पर वैष्विक समुदाय को यह संदेष नहीं देना चाहता कि किसी दुबर्लता के कारण म्यांमार ने भारतीय सैन्य कार्यवाही करने की अनुमति किसी प्रकार के दबाव या प्रलोभन में आकर दी। भारतीय प्रधानमंत्री सहित हमारे रक्षा प्रतिश्ठान, राश्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, थलसेना अध्यक्ष, गृह एवं रक्षा मंत्रालय ने जिस प्रकार तत्परता और षीघ्रता के साथ समन्वय, संवाद और आवष्यक गोपनीयता बरतते हुए इस निर्णय को प्रभावी परिणाम तक पहुँचाया उससे भी एक संदेष प्रकट होता है कि भारत ऐसे किसी भी राश्ट्रीय हित से जुड़े विशय पर ठोस कार्यवाही कर सकता है, जिससे हमारी राश्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता जुड़ी है बषर्ते कि राजनीतिक नेतृत्व दृढ़ता का प्रदर्षन करे।   
डाॅ0 प्रत्यूशमणि त्रिपाठी, निदेषक, वैद्स आईसीएस लखनऊ
               


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