पिछले दिनों मुझे एक बार फिर एरोपा यानि ईस्टर्न रीजनल आर्गनाइजेशन फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के जापान समिट में जाने का मौका मिला. ये अंतरराष्ट्रीय लोक प्रशासन संगठन प्रशांत महानगरीय क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया को शेष विश्व के साथ लोक प्रशासनिक संबंधों से जोड़ता है. ये सम्मेलन हर साल जापान में होता है. वर्ष 2006 से मेरा इसमें जाना हो रहा है. इस बार ये सम्मेलन 14 से 19 अक्टूबर तक जापान की राजधानी तोक्यो में आयोजित किया गया. इसकी थीम थी -इंहेंसिंग द क्वालिटी ऑफ गवर्नमेंट यानि सरकार की गुणवत्ता वृद्धि.
इस विषय पर विचार करने के लिए ये काफी अनुकूल समय था. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वैश्विक समस्याएं इस समय सरकारों के सामने मुंह बाए खड़ी लगती हैं. मसलन -ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद, आर्थिक विषमताएं, जलवायु परिवर्तन आदि. तकरीबन पूरी दुनिया ही इस समय इन समस्याओं से जूझ रही है. देशों के सामने इनसे जुड़े सवाल मुंह बाए खड़े हैं कि कैसे इनसे निपटा जाए. तोक्यो में 83 देशों के प्रतिनिधि पहुंचे और उन्होंने इन समस्याओं और सरकारों की भूमिका पर अपने विचार रखे. इन मुद्दों पर विचार - विमर्श किया गया.
इस सम्मेलन का आयोजन जापान सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ इंटरनल अफेयर्स एंड कम्युनिकेशंस ने किया था. इसमें तीन बिंदुओं मूलरूप से यहां पहुंचे सभी 83 देशों के प्रतिनिधियों का ध्यान था. ये तीन बिंदु थे-सरकार, संस्था के रूप में सरकार और नीतिगत मामलों में सरकार की कार्यशैली। ये भी चर्चा का विषय रहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानि लोक निजी सहभागिता किस तरह हो और ये कैसे असरदार तरीके से बढ़ाया जा सके. ये भी विचार किया गया कि लोक निजी सहभागिता के जरिए किस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करते हुए आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है औऱ इससे विकास से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूर किया जा सकता है.
जापान के उप प्रधानमंत्री और इंटरनल अफेयर्स कम्युनिकेशन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री इस सम्मेलन में उद्घाटन से समापन तक मौजूद रहे. इसी से इस सम्मेलन के प्रति जापान की गंभीरता और सम्मेलन के महत्व का अंदाज लगाया जा सकता है. इससे ये भी पता लगता है कि जापान सरकार की कार्यशैली क्या है और ये किस सक्रियता के साथ हर महत्व की चीजों में संलग्न होती है. जापान सरकार का आतिथ्य और आवभगत भी शानदार रही. उन्होंने जिस तरह से दुनियाभर से आये प्रतिनिधियों को सम्मान दिया वो अतुलनीय और अभूतपूर्व था.
जापान ने ये साबित किया है कि किस तरह प्राकृतिक चुनौतियों, आपदाओं, संसाधनों की जटिल समस्या के बावजूद अपनी रचनाधर्मिता, उद्यमिता, नवाचार औऱ प्रौद्योगिकी से कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.
जापान में अपनी सौम्यता, शिष्टता, संस्कृति और वहां के लोगों की प्रतिबद्धता, अनुशासन, साहस औऱ परिश्रम से काम किया है, उससे सीख लेने की जरूरत है.
आस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा और यूरोप के तमाम देशों और एशिया के कई देशों के प्रतिभागियों ने लोकप्रशासन के उभरते हुए सिद्धांतों,प्रतिमानों और नए तौरकरीकों पर आपस में विचार - विमर्श किया. लेखक ने भी अपना प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया. जिसे न केवल सराहा गया बल्कि अद्वतीय प्रेजेंटेशन अवार्ड से भी नवाजा गया. इस पर उन्हें काफी देर तक स्टैंडिंग ओवेशन जैसा सम्मान मिला. उनके प्रेजेंटेशन की विषय वस्तु लोकप्रशासन से जुड़ी थी. भारत की प्रशासनिक सिविल सेवाओं की तरह जापान में भी प्रशासनिक सेवाएं हैं, जिसकी अकेडमी तोक्यो में जापान लोकल ऑटोनॉमी कॉलेज एंड ट्रेनिंग के नाम से है. लेखक ने इस अकेडमी का दौरा भी किया. कुल मिलाकर मेरी ये जापान यात्रा सुखद अनुभूति ही नहीं रही बल्कि इससे मुझको बहुत कुछ सीखने -समझने का मौका मिला.